शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

श्री गणेश जी की आरती | वक्रतुंड महाकाय मंत्र अर्थ, महत्व और पूजा विधि हिंदी में - धार्मिकग्रन्थ

ganesh ji ki aarti hindi me | श्री गणेश जी की आरती हिंदी में
गणेश जी  आरती हिंदी में

भारत की संस्कृति में भगवान गणेश जी को प्रथम पूज्य कहा गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत “विघ्नहर्ता” गणेश जी के स्मरण के बिना अधूरी मानी जाती है। गणेश जी बुद्धि, विवेक, और सफलता के देवता हैं। उनकी आरती करने से जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं और मन में शांति का अनुभव होता है।

वक्रतुंड महाकाय मंत्र:























मंत्र : वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ | 
        निर्विघ्नं कुरु में देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||

मंत्र का अर्थ:

हे वक्रतुंड (टेढ़ी सूंड वाले) महाकाय (विशाल शरीर वाले) प्रभु गणेश, आप सूर्य के समान तेजस्वी हैं।
कृपया मेरे सभी कार्यों में आने वाले विघ्नों (बाधाओं) को हमेशा के लिए दूर करें।


मंत्र का महत्व:

यह गणेश जी का सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली मंत्र है। किसी भी नए कार्य, यात्रा, परीक्षा, या निवेश की शुरुआत से पहले यदि यह मंत्र एकाग्रता से पढ़ा जाए, तो सफलता सुनिश्चित मानी जाती है।

श्री गणेश जी की आरती ( हिंदी )

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा |
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा || 

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी | 
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी || 
(माथे पर सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी)

पान चढ़े  फूल चढ़े और चढ़े मेवा | 
(हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा)
लडुअन का भोग लगे संत करे सेवा || 

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा |
माता जाकी पारवती पिता महादेवा ||

अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया |
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया ||

'सूर' श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा |
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ||
(दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी)
(कामना को पूर्ण करो, जगत बलिहारी ||)

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा |
 माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ||

आरती का अर्थ और भावार्थ:

इस आरती में भक्त भगवान गणेश जी की स्तुति करते हैं —
वे बताते हैं कि गणेश जी कृपालु, दयालु, और चार भुजाओं वाले हैं। जो भी भक्त सच्चे मन से उनकी आरती करता है, उसके जीवन की बाधाएँ दूर हो जाती हैं, धन-धान्य की प्राप्ति होती है, और मन में प्रसन्नता बनी रहती है।

गणेश जी की आरती कब और कैसे करें:

आरती करने का कोई निश्चित समय नहीं है, परंतु सुबह सूर्योदय के बाद और शाम सूर्यास्त के समय आरती करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

विधि:

  • स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • स्वच्छ स्थान पर गणेश जी की मूर्ति या फोटो रखें।
  • दीपक जलाएं (घी या तिल के तेल का)।
  • “वक्रतुंड महाकाय” मंत्र से शुरुआत करें।
  • फूल, धूप, और लड्डू का भोग लगाएं।
  • आरती को पूरे भाव से गाएं।
  • अंत में प्रसाद ग्रहण करें और परिवार में बाँटें।

गणेश जी की आरती करने के लाभ:

  • मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • कार्यों में सफलता मिलती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • विद्यार्थी और नौकरीपेशा लोगों के लिए विशेष रूप से शुभ।
  • घर में सुख-समृद्धि और मंगल का वातावरण बना रहता है।

भगवान गणेश जी के बारे में कुछ रोचक बातें -

  • गणेश जी को “विघ्नहर्ता” कहा जाता है क्योंकि वे हर प्रकार की बाधा को दूर करते हैं।
  • उन्हें सबसे पहले पूजा जाता है — कोई भी पूजा उनके बिना पूर्ण नहीं होती।
  • उनकी सवारी “मूषक” (चूहा) है, जो यह दर्शाता है कि बुद्धि से सबसे छोटे जीव को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
  • गणेश जी के दो दाँतों में से एक टूटा हुआ है — इसे “एकदंत” कहा जाता है।
  • गणेश जी को ज्ञान और विद्या का देवता भी कहा जाता है — विद्यार्थी गणेश चतुर्थी पर विशेष पूजा करते हैं।

गणेश चतुर्थी पर विशेष आराधना

हर वर्ष गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दिन घर-घर में गणेश जी की स्थापना की जाती है, प्रतिदिन आरती होती है, और दसवें दिन विसर्जन के साथ गणेश जी को विदा किया जाता है। गणेश चतुर्थी पर यह आरती अवश्य गानी चाहिए।


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